कंगन - 1 S Sinha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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कंगन - 1

 

 

                                                                  कहानी -  कंगन      

 

उस समय रात  के आठ बजे थे  . काजल  होटल के कमरे में सोफे  पर आराम से बैठी टी वी देख रही थी  . दरअसल उसे किसी भी चैनल में दिलचस्पी नहीं थी वह रिमोट से बार बार चैनल बदल रही थी  . तभी फोन की घंटी बजी , उसने रिसीवर उठा कर हेलो कहा  . 


उधर से आवाज आयी “ मैम , मैं रिसेप्शन से बोल रहा हूँ  . आपसे मिलने कोई साहब  आये हैं  . नाम तो नहीं बता रहे हैं पर बोल रहे हैं आप इन्हें जानती हैं और शायद इनका ही इन्तजार कर रहीं हैं  . “


“ हाँ , ठीक है  . उन्हें मेरे रूम में आने दो  . “  इतना बोल कर उसने फोन काट दिया  . फिर उठ कर दरवाजे तक गयी और अंदर से दरवाज खोल दिया  .  फिर वापस सोफे पर बैठ कर  टी वी देखने लगी  . 


कुछ देर बाद काजल के रूम की घंटी बजी तो उसने कहा “ प्लीज कम इन , दरवाजा खुला है  . “


“  मैम , मैं अमित हूँ  . “ 


“ हां , मेरे मैनेजर ने मुझे बताया है  . “ बोल कर काजल अपने आँचल से बदन को ठीक से ढकने लगी और सहज हो कर बैठी  . 


“ किसी  कॉल गर्ल से मुझे ऐसी शिष्टता की उम्मीद नहीं थी  . “  आगंतुक ने कहा 


काजल ने हंस कर आँचल गिराते हुए कहा “ लीजिये , अब ठीक है न  , शायद मर्दों को औरतों का यही रूप ज्यादा पसंद है  . अब आपको जरूर अच्छा लगा होगा , है न ? “


“ नो नो , प्लीज ऐसा न करो  . तुम बुरा मान गयी  . मैंने यूँ ही कह दिया था  . “


   

“ नो सर , मुझे सिखाया गया है कि कस्टमर इज ऑलवेज राइट और उन्हें मुझे नाराज नहीं करना चाहिए  . आखिर आपने रात भर के लिए मुझे भरपूर पैसे दिए हैं न  .  “


अमित ने काजल का हाथ पकड़ कर उसे बेड पर बैठाते हुए कहा “ बैठो ,अभी तो सारी रात बाकी है  . कुछ बातें करते हैं और एक दूसरे के बारे में जानने का प्रयास करते हैं  . “


“ मेरे पास आने से पहले आपने मेरे बारे में कुछ तो पता किया होगा  . आप निश्चिन्त रहें  मैं आपको कोई बीमारी नहीं दूंगी  . “  काजल ने  हंसते हुए  कहा 


“ तुमने मुझे क्या समझा है  यह तो मैं नहीं जानता हूँ  . पर मेरा मतलब वह हरगिज नहीं था  .  चलो बात का रुख बदलते हैं  . अच्छा यह बताओ तुम तो इतनी गोरी और सुंदर हो , तब तुम्हारा नाम काजल किसने और क्यों रखा  ? “


काजल कुछ न बोलकर अमित की ओर देखने लगी  . फिर वह बोला “  कोई बात नहीं , नहीं बताना चाहती तो मैं भी जिद नहीं करता  . अच्छा तो काजल  यह बताओ तुम कुछ पैसों के लिए यह सब कब से और क्यों करती हो ? ‘


“ ताकि आप जैसे लोग भी हमारा मोल लगा सकें और आसानी से मेरे पास आ सकें  . और जहाँ तक पैसों की बात है , आप मानें या न मानें कभी मेरे  एक रात की कीमत एक लाख से कम नहीं हुआ करती  थी  . बदकिस्मती से अब मेरे दिन बदल गए हैं और आप जैसे लोग भी मेरे पास आने लगे हैं  . “  काजल ने जरा सख्ती से  नाराज  हो कर कहा 


“ मेरे जैसे लोग से क्या मतलब ? तुम मेरे बारे में जानती क्या हो ? “ अमित उसके नजदीक बैठते हुए बोला  . 


“ मैं बस इतना जानती हूँ कि मेरे पास आने वाला हर आदमी मेरा एक कस्टमर है  . रातें आतीं जातीं हैं , मेरा कमरा और कस्टमर बदलते रहते हैं  . इससे ज्यादा किसी के बारे में मुझे जानने की मनाही है  , इतना तो आप भी समझ रहे होंगे  . “


“ मुझे भूख लगी है , मैं खाना आर्डर कर रहा हूँ  . तुम्हारे लिए भी कर दूँ , यहीं रूम में मंगा लूँगा  . “


“ नहीं , मैंने डिनर ले लिया है  . आप सिर्फ अपने लिए मंगा लें  . “


“ ठीक है पर  कुछ स्नैक्स और बियर तो ले सकती हो  ? “


“ ठीक है , आपका साथ देना मेरा फ़र्ज़ है सर  . बियर तो फ्रिज में पड़ा होगा  .  “  काजल ने कहा 


“ ओके , फिर मुझे भी डिनर की जरूरत नहीं थी  . सच कहो तो तुम्हारे लिए मंगवा रहा था  .  मैं भी स्नैक्स  से काम चला लूंगा  . “


अमित ने रूम सर्विस को कुछ स्नैक का आर्डर दिया  . थोड़ी देर में स्नैक्स आ गए  . अमित ने  फ्रिज से बीयर की बोतल निकाला और उसे दो ग्लासों में ढाला  . एक ग्लास काजल को दिया , फिर अपनी ग्लास से उसे टकरा कर चियर्स कहा  .  एक स्नैक वह उसके मुंह में डालना चाहता था तभी काजल ने उसे रोका और स्नैक्स अपने हाथ में ले कर कहा “ थैंक्स , मैं खुद ही खा लूंगी  . “

 

“ पर मैं तो तुम्हारे हाथों से ही खाऊंगा  . “  


“ कस्टमर का हुक्म सर आँखों पर  , मुझे आपकी फरमाइश पूरी करनी होगी  . यह मेरा फ़र्ज़ और धर्म दोनों है  . .“  इतना बोल कर काजल ने  स्नैक्स अमित को खिलाया  . दोनों ने बीयर सिप किये और फिर  अपने अपने ग्लास टेबल पर रखे  . 


“ अच्छा काजल तुम अपने बारे में प्लीज कुछ बताओ , मुझे जानने की इच्छा है   . “


“ अक्सर सभी कस्टमर मुझसे यह सवाल करते हैं और चंद  घंटों में अपना काम निपटा कर मुझे मेरे हाल पर छोड़ कर चले जाते हैं  . कुछ ज्यादा मेहरबान हुए तो मुझे एक्स्ट्रा टिप देकर जाते हैं  .मुझे नहीं पता आपके मन में क्या है  .  “


“ मैं तुम्हें कोई टिप नहीं देने वाला हूँ  . फिर भी बिना तुम्हारी कहानी सुने यहाँ से नहीं जाने वाला हूँ  . तुम्हें बताना ही होगा तुम कंगना से काजल कैसे बनी  . “


काजल को मानो सांप सूंघ गया  . वह आश्चर्यचकित और किंकर्तव्यविमूढ़ सी आँखें फाड़े अमित को देखती रह गयी  . उसकी आँखें आंसू छुपा न सकीं  . उसके दोनों गालों पर आंसू बह रहे थे  . अमित ने अपनी जेब से रूमाल निकली और उस से आंसू पोंछे  .  फिर उसकी पीठ थपथपा कर कहा “ इससे ज्यादा मैं तुम्हारे बारे में कुछ नहीं जानता हूँ , पर इसके बाद की कहानी तुमसे जरूर सुनना चाहता हूँ , कंगना  . “  


“ पहले आप बताएं कि मेरा असली नाम आपको किसने बताया  ? “  कंगना से काजल  बनी लड़की  ने पूछा 


“ मैं वह भी  बता दूंगा पर तुम्हारी कहानी सुनने के बाद  .  अच्छा तब तक हम  लोग बीयर खत्म कर लें  . चलो जल्दी जल्दी डाउन टू द बॉटम ऑफ़ द ग्लास  .  “


“ नहीं अब मूड नहीं रहा सर , मुझसे अब नहीं पिया जायेगा  . सॉरी इस से आगे मैं आपका साथ नहीं दे सकती हूँ  .“


“ चलो ठीक है पर मुझे सर कहने की जरूरत नहीं है , तुम सिर्फ मेरे अमित नाम से पुकार सकती हो  . “


“ नहीं , मैं इतनी तमीज तो रखती हूँ कि आपको अमितजी बोलूंगी  . “


अमित ने सहमति में सर हिलाया और कहा “ ओके , अब तुम अपनी कहानी अपनी जुबानी कह सकती हो  . “


कंगना ने कहना शुरू किया  “ करीब 15  साल पहले की बात है  , मैं हैदराबाद से करीब 100 किलोमीटर  दूर एक छोटे शहर महबूबनगर में रहती थी  .  उस समय मेरी उम्र 14 साल की रही होगी और मैं आठवीं कक्षा में पढ़ती थी . उस शाम  मेरी सहेली शीला का जन्मदिन था  . उसने मुझे बुलाने के लिए अपने कजन को कार से भेजा   . मेरा घर एक गली में था ,  मैं अपने घर से निकल कर मेन रोड पर उसका इंतजार कर रही थी  . उस दिन बारिश भी हो रही थी , सड़क पर इक्के दुक्के वाहन आ जा रहे थे  . एक कार मेरे पास आ कर रुकी और ड्राइवर ने कहा “ शीला ने मुझे भेजा है तुम्हें लाने के लिए  . मैं तो शीला की कार का इन्तजार कर ही रही थी इसलिए बिना देर किये  बिना किसी संकोच के उस कार में पीछे की सीट पर बैठ गयी , वहां एक आदमी पहले से ही बैठा था  . मैंने सोचा कि शायद यह शीला का कज़न है  .“     


क्रमशः